राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा 2025
जनसेवा विद्या केंद्र, चन्नेनहल्लि, बेंगलुरु
21-23 मार्च, 2025
भारत की वीरांगना, स्वतंत्रता संग्राम की अद्वितीय योद्धा उल्लाल की महारानी अबक्का एक कुशल प्रशासक, अद्वितीय रणनीतिकार और महापराक्रमी शासक थीं। उन्होंने दक्षिण कन्नड़ (कर्नाटक) के उल्लाल संस्थान पर सफलता पूर्वक शासन किया। उनकी 500वीं जयंती के शुभ अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उनका पुण्य स्मरण करते हुए विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता है।
महारानी अबक्का ने उस समय की अजेय शक्ति माने जाने वाले पुर्तगाली आक्रमणकारियों को अपने शासनकाल में कई बार परास्त किया और अपने राज्य की स्वतंत्रता बनाए रखी। अपनी कूटनीतिक कुशलता और उत्तर केरल के राजा सामुद्री (जमोरिन) जैसे शक्तिशाली शासकों के साथ सामरिक संधियों के कारण वे इस संघर्ष में निरंतर विजयी रहीं। उनकी अप्रतिम रणनीति, शौर्य और निर्भीक नेतृत्व के कारण इतिहास में उन्हें "अभयारानी" की संज्ञा प्राप्त हुई।
महारानी अबक्का ने भारत की सर्वसमावेशी परंपरा का अनुसरण करते हुए अनेक शिव मंदिरों एवं तीर्थ स्थलों का विकास किया। अपने शासनकाल में उन्होंने सभी मतावलंबियों को समान सम्मान प्रदान किया तथा समाज के सभी वर्गों के समग्र विकास को सुनिश्चित किया। उनके सद्भाव और एकता की विरासत आज भी कर्नाटक के यक्षगान, लोकगीतों एवं लोक नृत्यों में जीवंत रूप से गूँजती है।
भारत सरकार ने महारानी अबक्का के असाधारण शौर्य, राष्ट्र और धर्म के प्रति उनकी निष्ठा तथा कुशल प्रशासन को सम्मान देते हुए 2003 में उनके नाम पर एक डाक टिकट जारी किया था। साथ ही, एक सशक्त जलसेना की संचालन क्षमता से प्रेरणा लेते हुए 2009 में एक गश्ती पोत का नामकरण "रानी अबक्का" के नाम पर किया गया था।
महारानी अबक्का का जीवन सम्पूर्ण राष्ट्र के लिए प्रेरणादायक है। उनकी 500वीं जयंती के इस शुभ अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उनके दिव्य व्यक्तित्व को नमन करता है और समस्त समाज का आह्वान करता है कि वे उनकी जीवनगाथा से प्रेरणा लें एवं राष्ट्रनिर्माण के महान कार्य में अपना योगदान दें।