उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुग़ल सम्राट औरंगजेब को लेकर चल रही सियासी बयानबाजी पर कड़ा रुख अपनाया है। बहराइच के मिहींपुरवा (मोतीपुर) में गुरुवार (20 मार्च) को आयोजित एक कार्यक्रम में सीएम योगी ने बिना किसी का नाम लिए हुए कहा कि ऐसे अक्रांताओं का महिमामंडन देश स्वीकार नहीं कर सकता, जिन्होंने भारतीय संस्कृति और आस्था पर हमला किया था। उन्होंने कहा कि देश की बहन-बेटियों की इज्जत पर हाथ डालने वाले अक्रांताओं का महिमामंडन देशद्रोह के बराबर माना जाएगा।
योगी आदित्यनाथ ने कहा, "भारत की विरासत पर हमला करने और देश का अपमान करने वाले अक्रांताओं का महिमामंडन देशद्रोह की नींव को पुख्ता करना है। स्वतंत्र भारत किसी भी देशद्रोही को स्वीकार नहीं कर सकता। जो भारत के महापुरुषों का अपमान करता है और हमारी सनातन संस्कृति को रौंदता है, उसे नया भारत कभी स्वीकार नहीं कर सकता।"
सीएम योगी ने बहराइच के महाराज सुहेलदेव के शौर्य का भी उल्लेख किया और कहा, "महाराज सुहेलदेव की वीरता के कारण 150 वर्षों तक कोई विदेशी आक्रांता भारत पर हमला करने का दुस्साहस नहीं कर सका।"
औरंगजेब विवाद: क्या है मामला?
पिछले दिनों महाराष्ट्र में समाजवादी पार्टी के राज्य अध्यक्ष अबू आजमी ने मुग़ल सम्राट औरंगजेब की तारीफ करते हुए कहा था कि वह औरंगजेब को क्रूर शासक नहीं मानते। उनका कहना था कि औरंगजेब के शासनकाल में भारत की जीडीपी 24 प्रतिशत थी और देश को 'सोने की चिड़ीया' कहा जाता था। इस बयान ने पूरे देश में सियासी विवाद को जन्म दिया। अबू आजमी के बयान के बाद से औरंगजेब को लेकर राजनीति गरमा गई और कई नेताओं ने इस पर प्रतिक्रियाएं दीं।
इस विवाद के बाद अबू आजमी को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। उन्होंने अपने बयान के लिए माफी भी मांगी, लेकिन तब तक इस मुद्दे पर सियासत तेज हो चुकी थी। महाराष्ट्र में कई जगहों पर औरंगजेब के समर्थन में दिए गए बयान के खिलाफ मामले दर्ज किए गए, और उन्हें महाराष्ट्र विधानसभा से निलंबित कर दिया गया। वहीं, नागपुर में VHP ने औरंगजेब का पुतला जलाया और इस बीच अफवाहें फैलीं कि एक धर्म ग्रंथ को जलाया गया, जिसके बाद सांप्रदायिक हिंसा फैल गई और प्रशासन को कर्फ्यू लागू करना पड़ा।
इस हिंसा के बाद पुलिस-प्रशासन ने सख्त कार्रवाई करते हुए कई आरोपियों को गिरफ्तार किया।